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कंप्यूटर में बाइनरी सिस्टम क्यों इस्तेमाल होता है?

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बाइनरी सिस्टम क्या है?

कंप्यूटर में बाइनरी सिस्टम क्यों इस्तेमाल होता है यह जानने से पहले हम यह देखते है के बाइनरी सिस्टम क्या है। यह सिस्टम किसी भी डिजिटल उपकरण के स्टोरेज और संचारण का आधार है।

हम सामान्य रूप से डेसीमल सिस्टम इस्तमाल करते है जिसमे ‘0 से 9’ तक के नंबर इस्तेमाल होते है। मगर कंप्यूटर में बाइनरी सिस्टम इस्तेमाल होता है जिसमे ‘0 और 1’ यह दो ही नंबर इस्तेमाल होते है। अब आप सोच रहे होगे के ‘बाइनरी ही क्यों डेसीमल क्यों नहीं?’ चलिए देखते है।

क्यों इस्तेमाल होता है बाइनरी सिस्टम?

आप जानते ही होगे की कंप्यूटर या कोई भी डिजिटल उपकरण DC इलेक्ट्रिसिटी पे चलता है। क्युकी ये इलेक्ट्रिसिटी पे चलता है तो ये दो ही तरह के संकेत समझ सकता है:

  1. शुरू (जो बाइनरी का “1” है)
  2. बंद (जो बाइनरी का “0” है)

बाइनरी सिस्टम कैसे काम करता है?

क्यों की कंप्यूटर सिर्फ दो ही तरह के संकेत समझ सकता है, इसी लिए बाइनरी सिस्टम बनाया गया। इस बाइनरी सिस्टम का आधार 8 बिट्स का है जो मिलकर 1 बाइट बनता है। इसी सिद्धांत से हमारा डेटा स्टोर या संचारित किया जाता है।

इस 8 बिट्स के बाइनरी समूह के 256 कॉम्बिनेशन्स बनते है जो आप निचे दिए गए उदाहरण से समझ सकते है।

उदाहरण:
00000000 – 0
00000001 – 1
00000010 – 2
00000011 – 3
00000100 – 4
00000101 – 5
00000110 – 6
00000111 – 7
00001000 – 8
00001001 – 9
.
.
.
.
11111111 – 255

0 से लेकर 255 तक 256 कॉम्बिनेशन्स होते है।

बाइनरी से डेसीमल में कन्वर्ट कैसे करे?

आप किसी भी कॉम्बिनेशन को बाइनरी से डेसीमल में कन्वर्ट कर सकते है। यह करने का तरीका आप निचे दी गई तस्वीर से समझ सकते है।

कंप्यूटर में बाइनरी सिस्टम क्यों इस्तेमाल होता है

इस तस्वीर में आप देख सकते है के जिन जिन ‘Binary’ ब्लाक में ‘1’ है उन के ‘Ref’ ब्लाक के नंबर्स को मिलाकर डेसीमल नंबर प्राप्त होता है।

इस तस्वीर में जो “Ref” है वो नंबर्स दाएं से बाएं 1 से 128 तक है, जिन्हें आप पहले नंबर का डबल कर के निकाल सकते है।

जैसे:
‘ पहला नंबर 1’,
‘1 का डबल 2’,
‘2 का डबल 4’,
‘4 का डबल 8’,
‘8 का डबल 16′,
’16 का डबल 32′,
’32 का डबल 64′,
’64 का डबल 128’

अब आप सोच रहे होगे के डबल ही क्यों? इसका उत्तर है, क्यों की कंप्यूटर सिस्टम बाइनरी पे चलता है जो के दो है। इसी लिए “Ref” याने रेफरेंस के सभी नंबर्स को दो से गुनाहकार किया जाता है।

अगर इसे तकनिकी भाषा में देखा जाए तो ये नंबर्स दाएं से बाएं 20 से ले के 28 तक है।

निष्कर्ष: कंप्यूटर या कोई भी डिजिटल उपकरण DC इलेक्ट्रिसिटी पे चलता है जिसके सिर्फ दो ही रूप होते है, या तो ‘शुरू’ या ‘बंद’ जिसे कंप्यूटर की भाषा में ‘0’ या ‘1’ कहा जाता है। इसी वजह से किसी भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण से काम करने के लिए बाइनरी सिस्टम इस्तेमाल किया जाता है।